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Monday 11 November 2019

प्यार मेरा






प्यार मेरा
एक पनप उठा था प्यार मेरा,
एक हँसीन सी लड़की थी,
मेरी घर की गलिया में,
उसकी छोटी सी बस्ती थी,
मेरे दिल की वादी में,
बस एक ही फूल की हस्ती थी।
एक पनप……….!!
छोटी छोटी बातों पर वो,
दिल से खुश हो जाती थी,
सिथिल हो जाता था वो छण,
मेरी आंखें टिक जाती थी,
हर रोज एक बहाने से,
वो हमसे मिला करती थी,
प्यार भरी मुस्कान से,
मेरे मन मार जाती थी।
एक पनप......!
एहसास हुआ मेरे दिल को,
कुछ तो कहना चाहती थी,
छुपाती थी बहुत लेकिन,
उसकी आँखे कह जाती थी,
मुझे उसकी नादानी हरकतें,
हरबक्त याद दिलाती थी,
उसकी प्यारी यादों में,
मेरी नींदें उड़ जाती थी।
एक पनप…..!
जिस दिन मेरे गलियों में,
जब न आ पाती थी,
ढूींढता था जबतक मैं,
निगाहें थक न जाती थी,
काली अँधेरी रातों में,
एक ज्वाला की भाँति थी,
उसकी सभी बातें भी,
मेरे दिल तक जाती थी,
एक पनप….!
यार मेरें ये मत पूछो,
उसकी प्यार कैसी थी,
इतना बस समझ ले तू,
सागर के मोती जैसी थी,
उसके सारें कसमें वादें,
एक भी ना झूठी थी,
मेरे दिल केि दरिया में,
केबल एक ही कश्ती थी।
एक पनप ……!!

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